Sunday, May 1, 2011

horizon, shimla

इस तरह, हर गम से खुद को बचा रखा है
एहसास को पत्थर का लिबास पहना रखा है...


मेरी आँखों में अक्सर उतर आता है सैलाब
कुछ तूफानों को अपने दिल में बसा रखा है....


तेरी यादों की क़ैद से भाग भी जाते लेकिन
ये ताला हमनें अपने हाथों से लगा रखा है.....

1 comment:

  1. aapka bahut bahut shukriya amrjeet ji ... bahut khushi hui tahaan aakar ... kis tarha aapka shukriya karun ... aapne mujhe is layak samjha ... aapka tahe dil se dhanyawaad ...

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